विज्ञान के तरीकों एवं उद्देश्यों व विज्ञान से उत्पन्न विशेष रचनाओं के विशेष गुणों की यदि तुलना कला एवं साहित्य से को जाए अवश्य ही उनका अन्तर स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। इनके परस्पर अन्तर पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है क्योंकि वर्तमान समय में अधिकतर चर्चाओं में इनके अन्तर को अनदेखा किया जा रहा है।

Science and Humanities
विज्ञान एवं कला में अनेक अन्तर हैं परन्तु एक अन्तर जो स्पष्ट रूप से दिखाई देता है वह है कला द्वारा भावनात्मक प्रतिक्रिया को महत्त्व दिया जाना एवं उन्हें जन्म देना। यह बात कला वर्ग के सभी विषयों लागू होती है। इसके अतिरिक्त विज्ञान एवं कला में एक अन्य विशेष अन्तर है कला का मानवीय मूल्यों को समझने उन्हें जाँचने के लिए सदैव तत्पर रहता। नि:संदेह संगीत जैसे विषयों में यह अन्तर स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं पड़ता किन्तु अन्य सभी कला वर्ग के विषयों में यह अन्तर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। कला एवं विज्ञान के लक्ष्यों के तुलनात्मक अध्ययन से पता चलता है कि विज्ञान के सिद्धान्त चाहो वे गणित के किसी सिद्धान्त से जुड़े हों अथवा अन्य किसी विषय के सिद्धान्तों से, कोई भी मानवीय जीवन में उन सिद्धान्तों की उपयोगिता, मनुष्य की प्रसन्नता के लिए उनकी सार्थकता आदि पर प्रकाश नहीं डालते अपितु आगे क्या वैज्ञानिक गतिविधियाँ जारो रखी जाएँ, ये अवश्य बताते हैं। विज्ञान की समस्त दुनिया वह चाहे गणित के संश्लेषण से जुड़ी हो अथवा विज्ञान के अन्य लाभकारी सिद्धान्तों से सभी उनके नैतिक एवं सामाजिक संदर्भों के प्रति उदासीन है। परन्तु दूसरी और कला से जुड़ा कोई भी सिद्धान्त मानवीय मूल्यों से अनछुआ नहीं रह सकता।
विज्ञान एवं कला ही एक विशेष प्रकार की सौन्दर्यात्मक प्रतिक्रियाएँ देने में सक्षम हैं जो एक आनन्द की अनुभूति को जन्म देती हैं। इस दृष्टि से कला एवं विज्ञान में एक और अन्तर दिखाई पड़ता है। कला से जुड़े विषय जैसे संगीत एवं कविता सौन्दर्यबोध पर विशेष बल देते हैं वहीं विज्ञान से जुड़ी क्रियाओं में सौन्दर्यबोध महत्त्वपूर्ण नहीं है।
Humanities
 कला एवं विज्ञान दोनों ही मानवीय अनुभवों की समानता एवं क्रम की खोज एवं अभिव्यक्ति पर बल देते हैं परन्तु दोनों के द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों में कोई मेल नहीं होता है। विज्ञान द्वारा प्रतिपादित अनुमान सर्वमान्य होते हैं। वे तब तक मान्य होते हैं जब तक कि नई खोजें उन्हें बेमतलब न साबित कर दें। विज्ञान तथ्यों के आधार पर भविष्य की घटनाओं की सही-सही भविष्यवाणी कर सकते हैं। इसके विपरीत कला से जुड़े तथ्य व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित होते हैं जिनका उद्देश्य होता है अपने अस्तित्व की रक्षा के साथ-साथ सार्वजनिक सिद्धान्तों से जुड़ना। कला से जुड़ी क्रियाएँ मानवीय अनुभवों को अथाह धरोहर एवं उनकी विविधता की ओर ध्यान आकर्षित करती हैं। उदाहरण के रूप में भौतिकिशास्त्र में सभी सूर्योस्तों की व्याख्या एक सी वैज्ञानिक सिद्धानों के आधार पर की जाती है परन्तु एक चित्रकार के लिए हर एक सूर्यास्त विशेष व्यक्तिगत व्याख्या एवं अनेक भावनात्मक अर्थ समाहित किए हुए होता है।
अन्त में यह सत्य है कि विज्ञान एवं कला के आधीन रचनात्मक प्रतिभा जिन भिन्न-2 क्रियाओं को जन्म देती है उनमें परस्पर स्पष्ट अन्तर दिखाई पड़ता है। एक वैज्ञानिक द्वारा सृजित सिद्धान्त या अन्य कुछ भी वस्तुनिष्ठ होता है जबकि कलाकार द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त या सृजित वस्तुएँ अनोखी होती हैं एवं विषयगत होती हैं अर्थात् वे सभी कलाकार की मानसिक प्रतिभाओं एवं उसके रूझान आदि का प्रतिरूप होती हैं।