खुशी के संदर्भ में मनोविशेषज्ञों से लेकर सेल्फ हेल्प गुरु, विद्वान अक्सर 'माइंडफुलनेस' की बात करते हैं। इसका अर्थ है वर्तमान क्षण में मौजूद रहना। जो कर रहे हैं, उसमें पूरी तरह डूब जाना, अतीत और भविष्य की चिंता से मुक्त हो जाना। पर ये मुमकिन कैसे है?

आप जो काम कर रहे हैं, उसके बारे में बहुत ज्यादा विचार करना (खासतौर पर नकारात्मक स्थिति बदतर बना देता है। विशेष तौर पर अगर आपने उसे अपने आत्मसम्मान आदि से जोड़ लिया हो- जैसे भाषण देने में, डांस करने में परेशानी। आप तनाव पर फोकस करने के बजाय वहां के माहौल पर ध्यान दें। जब आप किसी घटना की तात्कालिकता पर फोकस करते हैं, तब तनाव कम होता है।

मनोविशेषज्ञ एलिजाबेथ गिलबर्ट अपनी किताब 'ईट, प्रे, लव' में कहती हैं कि हम अक्सर अतीत या भविष्य की कल्पनाओं में उलझ जाते हैं। कहीं घूमने जाते हैं तो कहते हैं कि ये जगह कितनी खूबसूरत है, मैं वहां फिर से आऊंगा। इस चक्कर में वर्तमान का अनुभव नहीं कर पाते। जब आप वर्तमान क्षण पर ध्यान देने लगते हैं, तब आपका इगो हर्ट नहीं होता, ऐसे में आपका खुद पर काबू बढ़ने लगता है। आप बेहतर तरीके से अपने मूड को ठीक रख पाते हैं और इस तरह बाकी लोगों से संबंध बेहतर बने होते हैं। ये आपकी खुद के प्रति जागरूकता बेहतर बनाता है कि आप चीजों की किस तरह व्याख्या करते हैं और दिमाग में घटने वाली चीजों पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं।

मनोविशेषज्ञों के अनुसार जब आप किसी काम में डूब जाते हैं, तो आसपास की चीजें ध्यान नहीं भटका पातीं। माइंडफुलनेस पाने का एक और तरीका है कि अगर कोई चीज आपको परेशान कर रही है, तब उससे दूर जाने के बजाय उसके ज्यादा नजदीक जाएं। उदाहरण के लिए ब्रेकअप के बाद तनाव स्वाभाविक है। आप उस अलगाव को स्वीकारें, उस तनाव से दूर न भागें। जब पूरी तरह स्वीकार करेंगे, तभी उसे दूर करने के उपाय खोज पाएंगे।

कई बार ऐसा होता है कि हम दिमागी रूप. से खालीपन का अनुभव करते हैं, लगता है कि सब भूल गए हों। इसे माइंडलैसनेस कहते हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में मनोविशेषज्ञ एलेन लेंगर कहते हैं कि इससे बचने के लिए छोटी-छोटी चीजों पर फोकस करें।