नितीश गोवंडे,कोंकण | महाराष्ट्र के कोंकण स्थित सह्याद्री की पर्वत श्रृंखला में समुद्र किनारे का गणेश मंदिर। यह देश का इकलौता मंदिर है, जहां समुद्र की लहरें इस मंदिर तक पहुंच जाती हैं। यह श्री क्षेत्र स्वयंभू मंदिर के नाम से पहचाना जाता है। इस मंदिर का इतिहास 3400 साल पुराना माना जाता है। 1600 ईसा पूर्व में जिस जगह पर मंदिर था, वहां पहाड़ों के नीचे केवड़े का बगीचा था। इस मंदिर को लेकर किंवदंती यह भी है कि उस वक्त वहां बालभटजी भिड़े ब्राह्मण रहते थे। उन पर मुगलों के वक्त उन पर संकट आया। वे गणेशजी की आराधना में जुट गए। गणेशजी प्रकट हुए। उनके निर्देश पर पूरे क्षेत्र की सफाई हुई और इस दौरान जो मूर्ति मिली,

उसकी स्थापना की गई। यह भी कहा जाता है कि शिवाजी महाराज भी इस मंदिर में दर्शन करने गए थे। मंदिर के बाहर 11 दीपमालाएं है। कोरोना की वजह से लगातार दूसरे साल भक्तों को गणेशजी को ऑनलाइन दर्शन

करने होंगे। कोरोना से पहले हर साल गणेश चतुर्थी को पालकी प्रदक्षिणा, महापूजा होती आई है। इस मौके पर 10 हजार से ज्यादा लोग पहुंचते थे।

Source newspaper