अगर हम अपनी सारी ऊर्जा, संसाधन और समय एक ही चीज पर लगा दें, तो किसी लेजर बीम की तरह कोई भी लक्ष्य भेदा जा सकता है।

जिंदगी नाटकीय रूप से भी बदलती है, पर इरादा तो हो !

हम सब सपने देखते हैं। उन्हें हकीकत में बदलने की योजना भी बनाते हैं, लेकिन जिंदगी की आपाधापी और खीझ में उन सपनों की दिशा में कोशिश करना तक छोड़ देते हैं। मैं वह दिन कभी नहीं भूलूंगा, जब अपने जेट विमान से एक बिजनेस मीटिंग के लिए लॉस एंजेल्स जा रहा था। ग्लैंडेल शहर के ऊपर से गुजरते हुए मुझे एक जानी-पहचानी बड़ी-सी इमारत दिखाई दी। पायलट को विमान की ऊंचाई थोड़ी कम करने के लिए कहा, फिर उस बिल्डिंग के ऊपर विमान मंडराने लगा यह वही इमारत थी, जिसमें 12 साल पहले मैं चौकीदार हुआ करता था। उन दिनों मुझे इस बात की चिंता थी कि अपनी खटारा गाड़ी से दफ्तर पहुंच भी पाऊंगा या नहीं। जीवनयापन पर सारा ध्यान था, डर और चिंता से घिरा हुआ था। आज इस आसमान पर मंडराते हुए सोचता हूं कि एक दशक कितनी चीजें बदल सकता है! मगर कैसे? उस वक्त भी मैं ख्वाब देखता था, पर लगता था कि वे कभी पूरे नहीं होंगे। मुझ जैसे हाईस्कूल पास व्यक्ति की जिंदगी नाटकीय तरीके से इतनी कैसे बदल गई?

मेरा जवाब बहुत साधारण है। मैं एक नियम के सहारे चलता रहा। नियम था 'एकाग्रता की ताकत।' आप सोचेंगे कि इससे पहले हजारों
बार, हजारों लोग एकाग्रता पर बात कर चुके होंगे। लेकिन मैं जीता-जागता उदाहरण हूं। अधिकांश लोग इसकी ताकत नहीं जानते कि अगर हम अपनी सारी ऊर्जा, संसाधन और समय एक ही चीज पर लगा दें, तो किसी लेजर बीम की तरह कोई भी लक्ष्य भेदा यानी हासिल किया जा सकता है। बचपन में धूप में नजर के चश्मे से कागज जलाया है? बिल्कुल वैसा ही। जब हम किसी भी क्षेत्र में खुद को बेहतर करने के लिए लगातार मेहनत करते हैं, तो उसमें महारती बन जाते हैं। हममें से कुछ ही लोगों के सफल होने का कारण ये भी है कि हम कभी भी
अपनी ताकत पर ध्यान केंद्रित ही नहीं करते। अधिकांश लोग मध्यमार्गी रास्ता अपनाते हैं, किसी चीज में मास्टरी के बारे में नहीं सोचते।

मेरा मानना है कि जिंदगी में ये सीखना बहुत महत्वपूर्ण है कि हम जो भी काम कर रहे हैं, उसके पीछे की वजह क्या है? कौन-सी चीज हमारा व्यवहार तय करती है। इन सवालों के जवाब हमारे भाग्य को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मेरी पूरी जिंदगी सिर्फ एक
ही चीज के इर्द-गिर्द केंद्रित रही कि कौन सी चीज लोगों की जिंदगी बेहतर बनाती है? ऐसा क्यों होता है कि कमजोर पृष्ठभूमि से आने
वाले लोग सारी मुश्किलों के बावजूद कॅरिअर में बहुत कुछ कर जाते हैं। जबकि सुविधासंपा लोग पीछे रह जाते हैं।

मेरा जुनून कुछ बेहद साधारण से सवालों के साथ शुरू हुआ कि मैं अपनी जिंदगी पर तत्काल नियंत्रण कैसे हासिल करूं? फर्क पैदा
करने के लिए आज क्या करूं, जो न सिर्फ मुझे बल्कि औरों को भी मदद करे। कैसे मैं खुद का विस्तार करूं, सीखूं और आगे बढ़कर दूसरों
के साथ अनुभव साझा करूं। मैं सच में इस बात में यकीन रखता हूं कि हम सबके भीतर एक सोई हुई शक्ति है। सबके अंदर प्रतिभा है।
महत्वपूर्ण सवाल है कि खुद में स्थायी रूप से बदलाव कैसे हो। इसके लिए तीन कदम उठाएं। पहला अपना स्तर ऊंचा करें। मैंने आठ साल पहले खुद में बदलाव किया और सारी चीजें लिख लीं। आज से ये नहीं करूंगा, जिंदगी में इस चीज को स्वीकार नहीं करूंगा। दूसरा
है अपने सीमित इरादे बदल दें और कई गुना क्षमताओं पर भरोसा करें। तीसरा है कि अपनी काम करने की रणनीति बदलें।

-रॉबिन्स की किताब

'अवेकन द जायंट विदइन' से साभार