दो संस्कृतियों का आधारभूत अन्तर स्पष्ट हो जाता है जब हम मानवीय क्रियाओं को कलात्मक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परखत है। विज्ञान जहाँ एक ओर व्यक्तिगत अनुभवों से विलग करता है वहीं दूसरी ओर कला व्यक्तिगत अनुभव को बढ़ावा देती हैं। एक दृष्टान्त दोनों तरीके के भेद को स्पष्ट कर देगा। मार्च 1951 में नेशनल सेफ्टी कौंसिल, अमेरिका ने भविष्यवाणी की दिसम्बर 22, 1951 को 1899 में घटित सड़क या ओटोमोइबल मौतों के बाद सबसे बड़ी सड़क दुर्घटनाएँ होंगी वियमें दस लाख लोग मारे जाएंगे। यह दुर्घटना घटी। प्रारम्भ में इस दुर्घटना की सूचना आम जनता तक पहुँचाने का उद्देश्य था इस इतनी बड़ी राष्ट्रीय विपदा की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना। परन्तु लोगों की प्रतिक्रिया इस दुखद घटना के प्रति वह नहीं थी जो आन तौर पर होती है। मुख्य मार्ग पर पड़ा हुआ एक मृत शरीर उनके लिए वैज्ञानिकों द्वारा की गई सही भविष्यवाणी का एक प्रमाण या। कोई भी मानवीय क्रिया वैयक्तिक अनुभव से परे हो जाती है जब वह वैज्ञानिक आदशों के तिकट आ जाती है। कलात्मक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण का यह अन्तर स्पष्ट दिखाई पड़ता है। साहित्य द्वारा प्रस्तुत तथ्य व्यक्ति को पूर्ण रूप से अपनी ओर आसक्त कर लेते हैं तथा साथ ही साथ वैयक्तिक अनुभव के अनोखेपन को भी अनदेखा नहीं करते। साहित्य एवं विज्ञान
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Humanistic |
दोनों ही व्यक्ति को दृष्टिकोण विकसित करने का सामर्थ्य प्रदान करते हैं। विज्ञान से जुड़ी सभी क्रियाएँ भले ही उनका सम्बन्ध मनुष्य के जीवन से हो, अपनेआप में तटस्थ या अपक्षपाती होती हैं परन्तु साहित्य मानव जीवन के प्रति उदासीन हो ही नहीं सकता। साहित्यिक रचनाओं में दया, भय, दुख, आनन्द आदि भावनाओं का वर्णन पाठक को उसकी प्रतिक्रिया के लिए उकसाता है और वह इन भावनात्मक मूल्यों से अनछुआ नहीं रह सकता। सफल साहित्यिक कृतियों से हम भावनात्मक रूप से कुछ इस प्रकार जुड़ जाते हैं कि उनके अनेक वर्णन जिन्हें हमारी बुद्धि स्वीकार नहीं करती, वह भी हमें सहानुभूति आदि भावनात्मक प्रतिक्रिया के लिए बाध्य करते हैं। जैसे कि एन्टीगान जो प्राचीन एथेंस को थी उसकी दुखद कथा आज भी हमें दुखी कर देती है। साहित्यिक कृतियाँ हमारी सहानुभूति करने की क्षमता के दावरे को फैला देती हैं तथा साथ ही मनुष्य के अनुभवों की विविधता को प्रकाश में लाती हैं। यही नहीं साहित्यिक रचनाएँ उन मूल्यों के प्रति ध्यान आकर्षित करती हैं जिससे मानवीय क्रियाओं को अर्थ या सार्धकता प्राप्त होती है।
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Humanistic and Scientific |
इस सबसे यह निष्कर्ष नहीं निकलता कि साहित्यकार या साहित्य का विद्यार्थी या कला से जुड़े लोंग ही अधिक बुद्धिमान होते हैं एवं मानवीय होते हैं। ठीक इसी तरह यह भी जरूरी नहीं कि वैज्ञानिक सदैव अधिक तर्कशील व विवेकी तथा अपक्षपाती होता है । यह सोचना तर्कसंगत है कि लगातार विज्ञान के अध्ययन से जुड़े रहने से विज्ञान अवश्य हमारी सोच को प्रभावित करता है व हमारे चरित्र को प्रभावित करता है। यह सोच भी तर्कसंगत है कि कला व साहित्य का अध्ययन हमारी रूचि को प्रभावित करता है। इस प्रकार विज्ञान एवं साहित्य दोनों ही उस समाज को प्रभावित करते हैं जहाँ वे विकसित होते हैं मही समाज उनके विकास के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करता है। कुछ ऐसे कार्य हैं जो कला पूरा नहीं कर सकती व कुछ ऐसे कार्य हैं जिनको विज्ञान नहीं कर सकता। इसका कारण है दोनों
अलग-अलग तरह के प्रश्नों से घिरे हुए हैं। कला विज्ञान द्वारा अपनाये गये अनुशासनात्मक तरीकों को नहीं अपना सकती। अतः साहित्य या कला उन समस्याओं का जो हमें परेशान करती हैं कोई व्यावहारिक समाधान भी नहीं दे सकता। विज्ञान में भी कला (मुख्य रूप से साहित्य) की क्षमताओं की कमी है जिससे कि मनुष्य एक बार फिर मानवीय उद्देश्यों पर व उन उद्देश्यों की प्राप्ति के साधन पर विचार कर सके तथा मानवीय अनुभवों व उनमें निहित मानवीय मूल्यों की तलाश कर सका अ: किसी तरह हम उससे यह आशा नहीं कर सकते कि वह आम मानवीय मूल्य को जीवित रखेगा या उनको जीवन में प्रेरित करेगा।
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