नये प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों से स्वास्थ्य के लिए क्या खतरे हो सकते हैं इसके बारे में वैज्ञानिकों में बहुत मतमेद हैं व मुख्य प्रदूषण फैलाने वाले तत्व हैं- मनुष्य के शरीर पर कीटनाशक डी. डी. टी. का प्रभाव, कोहरे की तरह हवा में फर घुओं एवं परमाणु कचरे के प्रभाव। वैज्ञानिकों के मतभेद कारयम हैं जो इस ओर संकेत करते हैं कि इससे पहले कि मनुष्य से पाता कि इन प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों से क्या नुकसान हुआ, वह कम से कम यह जान गया था कि इस प्रदूषकों से मनुष्य के स्वास्थ्य को हानि होती है। अनजाने में ही हमनें वायु को ऐसे हानिकारक प्रदूषकों से भर दिया है जो हमारे रक्त पर प्रभाव डाल ह मनुष्य क्योंकि परमाणु बम बनाना चाहता था एवं मच्छरों को मारना चाहता था, अत: उसने अपने शरीर को स्ट क डो डी दी जैसे हानिकारक तत्वों के सम्पर्क में आने दिया। इसके क्या दुष्परिणाम होंगें शायद इसकी कल्पना को्ड नही जी एक तरीके से हम अपने शरीर पर ही प्रयोग कर रहे हैं वर्तमान पीढ़ी इन दुष्परिणामों की गणना नहीं कर सकती क स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों से ही इन प्रदूषणकारी तत्वों के दुष्परिणामों का पता चल पाएगा। है।


pollution
हममें से कुछ लोग जो अनजाने में ही इस बढ़ते हुए प्रदूषण से सम्बन्धित शायद यह कह सकते हैं कि विज्ञान का महान् है कि वह अनजाने क्षेत्रों में जाकर खोज करे। वह हमें याद दिलाना चाहंगे कि कैसे पहले भी इसी प्रकार के स्वास्थ्य काय खतरों का दुनिया ने सामना किया है। उनका कहना होगा कि विज्ञान एवं तकनीकी बिना और इस प्रकार के खतरे उठाए कि प्रगति नहीं की जा सकती।

परन्तु आज विज्ञान की बढ़ती हुई ताकत एवं तकनीकी के उत्तरोत्तर विस्तार से इन खतरों में सम्भावित चूक या गल्तियों को प में निरन्तर वृद्धि हो रही है। पहले समय में तकनीकी विकास के नाम पर होने वाले खतरे सीमित क्षेत्र में एवं कम समय के ती होते थे जैसे कि स्टीम बोट के बायलर के फटने से या रेडियम से होने वाली प्रारम्भिक हानियाँ थीं। परन्तु ये नये खतरे क्षेत्रीय हैं और न ही अल्पकालिक। वायु प्रदूषण विस्तृत क्षेत्र में फैला है। इसी प्रकार परमाणु कचरा आज समस्त संसार में बैत चुका है। रसायन वर्षों तक मिट्टी में रह सकते हैं इसी प्रकार रेडियम का प्रभाव डालने वाले प्रदूषक पीढ़ियों तक घरती की स को प्रदूषित करते रहेंगे। यहाँ तक कि कार्बन-14 जैसे प्रदूषणकारी तत्व हजारों वर्षों तक पृथ्वी को दूषित करते रहेंगे। बेताराणा ईंधन जलने से उत्पन्न होने वाली कार्बनडाईऑक्साइड भयानक बाढ़ का कारण बन सकती है जिस कारण धरती की सतह सैकड़ों वर्षों तक पानी से ढकी रहेगी।

Nature
इसी के साथ वर्तमान आधुनिक विज्ञान एवं विकसित तकनीकी से किसी भयंकर चूक या गलती की सम्भावना अब काफी कम हो गयी है। स्टीम इंजन के बायलर के विस्फोट को बर्दाश्त कर लिया गया क्योंकि उस समय वह तकनीकी विकास की राह पर भी। परन्तु यदि आज परमाणु शक्ति के प्लांट में ऐसा भयंकर विस्फोट हो जाता है तो इससे हजारों लोगों की मौत होगी व साथ ही समस्त क्षेत्र रहने योग्य नहीं रहेगा। शायद जनता परमाणु शक्ति के लिए इतनी बड़ी कीमत देने को तैयार न हो। आधुनिक विज्ञान एवं तकनीकी आज इतनी विकसित है कि वह इस तरह की भूल के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ेंगी।
आधुनिक प्रदूषणकारी तत्वों से भी कहीं ज्यादा खतरनाक अन्य अनेक अत्यधिक उत्साह में किए गए मानवीय कार्य है। उदाहरण के तौर पर परमाणु कचरे से होने वाले दुष्परिणाम से ज्यादा खतरा आज सड़क पर है या प्रदूषित वायु का है। परन्तु विचारणीय है। कि कितना खतरा हम अपनी भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए पैदा कर रहें हैं?

परमाणु कचरे से, वायु प्रदूषण से या रसायनिक प्रदूषण से होने वाले नुकसान का आँकलन हमारे इस अहसास को झुठला नहीं सकता कि हमने बिना नुकसान को समझे यह इतना बड़ा खतरा उठा लिया। विज्ञान इस बात को भूल बैठा है कि उसका परम् कर्तव्य है मनुष्य द्वारा प्रकृति के कार्यों में हस्तक्षेप का पूर्वानुमान कर उसे नियन्त्रित करना। वर्तमान खतरे शायद उन खतरों का पूर्ण अहसास नहीं करा सकते जो भविष्य में बहुत बड़ी बरबादी का कारण बन सकते हैं। यदि मनुष्य विज्ञान की इस भूल को नहीं सुधारता है तो भविष्य में इससे कितनी बरबादी होगी शायद उसका अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता।